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हिन्दी भाषा में स्वर और व्यन्जन || स्वर एवं व्यन्जनों के प्रकार, इनकी संख्या एवं इनमें अन्तर

  • BY:
     RF Temre
  • Posted on:
    January 01, 1970

मानव की भाषायी ध्वनियों को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए जिन चिह्नों (प्रतीकों) का प्रयोग किया जाता है उन ध्वनि चिह्नों को 'वर्ण' कहते हैं। इन वर्णों में स्वर तथा व्यन्जन दोनों शामिल हैं। वास्तव में ध्वनियों को व्यक्त करने वाले ये लिपि चिह्न ही वर्ण है। इस तरह से वर्ण मानव की भाषिक ध्वनियों के लिखित रूप होते हैं।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। मूल रूप में वर्ण वे चिह्न होते हैं, हमारे मुख से निकली हुई ध्वनियों के लिखित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लेखन के लिए जो चिह्न (वर्ण) प्रयुक्त होते हैं, उनके समूह को 'वर्णमाला' कहते हैं। यहाँ ध्यान देने की बात है - उच्चारित ध्वनि संकेतों को जब लिपिबद्ध किया जाता है तो वे वर्ण का रूप धारण कर लेते हैं। इन वर्णों के व्यवस्थित क्रमिक रूप को ही वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में कुल कितने वर्ण है। इसके लिए विद्वानों ने इनकी संख्या 48 और 52 बतलाई है। अतः वर्ण संख्या की धारणा हमें भ्रम में डाल देती है। सर्वमान्य मत के अनुसार हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

हिन्दी ध्वनियों का वर्गीकरण

हिन्दी ध्वनियों का वर्गीकरण सामान्यतः
(i) उच्चारण स्थान और
(ii) उच्चारण रीति

की दृष्टि से किया जाता है। इस आधार पर ध्वनियों (वर्णों) के दो भेद हैं-
(i) स्वर
(ii) व्यंजन

स्वर

स्वर उन उच्चारण वर्णों को कहते हैं, जिनका उच्चारण बिना अवरोध अथवा विघ्न-बाधा के होता है। इनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती है। ये सभी स्वतन्त्र होते हैं। तभी कहा गया है - "स्वयं राजन्ते स्वराः" अर्थात् जो अपना शासन स्वयं के होते हैं, स्वरों के उच्चारण में भीतर से आती हुई वायु मुख से निर्बाध रूप से निकलती है।

डॉ भोलानाथ तिवारी ने स्वरों के विषय में कहा है- "स्वर वह घोष ध्वनि है, जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से मुख विवर से निकल जाती है।"
हिन्दी वर्णमाला में कुल ग्यारह स्वर हैं।
अ, आ, इ, ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ = 11 स्वर

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. लोकोक्तियाँ और मुहावरे
4. रस के प्रकार और इसके अंग
5. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
6. विराम चिह्न और उनके उपयोग
7. अलंकार और इसके प्रकार

स्वरों का वर्गीकरण

हस्व स्वर - अ, इ, उ, ऋ
दीर्घ स्वर - आ, ई, ऊ
संयुक्त स्वर - ए = (अ+इ)
ऐ = (अ+ए)
ओ = (अ+उ)
औ = (अ+ओ)

व्यन्जन

स्वर के अतिरिक्त सभी ध्वनियाँ व्यन्जन हैं। डॉ. कपिलदेव द्विवेदी ने व्यन्जन के विषय में कहा है- "व्यन्जन वह ध्वनि है, जिसके उच्चारण में वायु अबाध गति से बाहर नहीं निकलती है।" डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार - "व्यन्जन वह ध्वनि है, जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से नहीं निकल पाती या तो उसे पूर्ण अवरुद्ध होकर आगे बढ़ना पड़ता है या संकीर्ण मार्ग से घर्षण करते हुए निकलना पड़ता है या मध्य रेखा से हटकर एक या दोनों पार्श्वों से निकलना पड़ता है या किसी भाग को प्रकंपित करते हुए निकलना पड़ता है। इसी प्रकार वायु मार्ग में पूर्ण या अपूर्ण अवरोध उपस्थित होता है।"

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि व्यन्जन वह संघोष या अघोष ध्वनियाँ हैं, जिसके उच्चारण में श्वास नलिका से आती हुई श्वास को मुख विवर से निकलने में पूर्ण रूप से अपना कुछ मात्रा में अवरोध उपस्थित होता है।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची
9. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, रुढ़, यौगिक, योगरूढ़, अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
10. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द
11. द्विरुक्ति शब्द क्या हैं? द्विरुक्ति शब्दों के प्रकार

व्यन्जनों का उच्चारण

व्यन्जन स्वर की सहायता से उच्चारित होते हैं, क्योंकि प्रत्येक व्यन्जन में 'अ' की ध्वनि छिपी रहती है। जैसे- क = क् +अ
ख = ख् + अ
ग = ग् + अ

हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. भाषा का आदि इतिहास - भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप
2. भाषा शब्द की उत्पत्ति, भाषा के रूप - मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक
3. भाषा के विभिन्न रूप - बोली, भाषा, विभाषा, उप-भाषा
4. मानक भाषा क्या है? मानक भाषा के तत्व, शैलियाँ एवं विशेषताएँ

व्यन्जनों का वर्गीकरण

स्पर्श व्यन्जन
क, ख, ग, घ, ड.
च छ ज झ ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
अन्तःस्थ व्यन्जन- य, र, ल, व
ऊष्म व्यन्जन - श, ष, स, ह
संयुक्त व्यन्जन
क्ष = क् + ष
त्र = त् + र
ज्ञ = ज् + ञ
श्र = श् + र
अयोगवाह
अं (अनुस्वार)
अः (विसर्ग)
द्विगुण स्वर - ड़, ढ़ इस तरह वर्णमाला में
कुल स्वरों की संख्या = 11
कुल व्यन्जनों की संख्या = 43
व्यन्जन कुल वर्ण = 52

ध्वनि एवं वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. ध्वनि का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, महत्व, ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य ,भाषायी ध्वनियाँ
2. वाणी - यन्त्र (मुख के अवयव) के प्रकार- ध्वनि यन्त्र (वाक्-यन्त्र) के मुख में स्थान

विशेष – 1. संयुक्त व्यन्जनों को जब हम वर्णमाला में सम्मिलित नहीं करते हैं तब वर्णमाला में 48 वर्ण होते हैं।
2. यद्यपि व्यन्जनों के नीचे हलन्त (्) यथा - क्, ख्, ग्, घ्, च्, छ्, ज्, झ् लगना चाहिए, किन्तु प्रचलन में बिना हलन्त के ही यथा- क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ ही लिखे जाते हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार

स्वर और व्यन्जन का अन्तर

स्वर -
1. स्वरों का स्वतन्त्र (अकेले) उच्चारण किया जा सकता है।
2 स्वरों के उच्चारण में स्पर्श या घर्ष नहीं होता है।
3. स्वरों का उच्चारण सरलता से किया जा सकता है।
4. स्वर अधिक समय तक सुनाई देते हैं।
5. स्वर सभी नाद हैं।
6. सभी स्वर आक्षरिक हैं।

व्यन्जन -
1. व्यन्जन स्वरों की सहायता से ही उच्चारित होते हैं।
2. व्यन्जनों के उच्चारण में थोड़ा बहुत स्पर्श या घर्ष होता है।
3. व्यन्जनों के उच्चारण में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है।
4. व्यन्जन अपेक्षाकृत कम समय तक सुनाई देते हैं।
5. व्यन्जनों में कुछ नाद, कुछ श्वास है।
6. व्यन्जन प्रायः अनाक्षरिक हैं।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. समास के प्रकार, समास और संधि में अन्तर
2. संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि
3. वाक्य – अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
4. योजक चिह्न- योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ, कब और कैसे होता है?
5. वाक्य रचना में पद क्रम संबंधित नियम
6. कर्त्ता क्रिया की अन्विति संबंधी वाक्यगत अशुद्धियाँ


संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।👇🏻
(Watch video for related information)

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
rfhindi.com


अन्य महत्वपूर्ण जानकारी से संबंधित लिंक्स👇🏻

https://youtu.be/JvxSSovEPt4
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