विद्या ददाति विनयम्

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समानार्थी या समानार्थक शब्द किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा और विशेषताएँ || समानार्थी और पर्यायवाची में अंतर || समानार्थी शब्दों की सूची

समानार्थी या समानार्थक किसे कहते हैं?

समानार्थी या समानार्थक बोलने या लिखने पर इसका शाब्दिक अर्थ स्पष्ट होता है― 'समान अर्थ वाला' या 'जिसका अर्थ समान हो'। समानार्थी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है समान और अर्थी। यहाँ समान का अर्थ है एक जैसा और अर्थी का आशय है मायने देना इस तरह ऐसा शब्द जो दिए गए शब्द के समान ही अर्थ देने वाला (मायने वाला) हो उसे समानार्थी कहते हैं।
इसे और सरल तरीके से ऐसे समझा जा सकता है। यदि किसी वाक्य में कोई शब्द (पद) आया है और उस शब्द (पद) को हटाकर उसके स्थान पर अन्य शब्द (पद) का प्रयोग कर दिया जाये तो उस वाक्य के अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता तो हम उस शब्द को पहले प्रयुक्त शब्द का समानार्थी कहते हैं।
उदाहरण― 1. रोहन मेरे पास ही खड़ा है।
2. रोहन मेरे समीप ही खड़ा है।
उपरोक्त दोनों वाक्यों का अर्थ समान है। वाक्य 1 में पास शब्द का प्रयोग हुआ है जबकि वाक्य 2 में पास को हटाकर उसके स्थान पर समीप लिख दिया गया है। फिर भी हम देखते हैं कि दोनों का अर्थ समान है। अतः यहाँ पास का समानार्थी समीप होगा।

सरल परिभाषा ― "जब कोई दो शब्द उच्चारण (वर्तनी) में एक-दूसरे से भिन्न हो किंतु अर्थ समान प्रकट करते हों उन्हें समानार्थी या समानार्थक कहते हैं।"

समानार्थी शब्दों की विशेषताएँ ―
1. समानार्थी शब्दों के उच्चारण अलग अलग होते हैं किंतु अर्थ एक जैसा होता है।
2. समानार्थी शब्द पर्यायवाची भी होता है।
3. वाक्यों या भाषा में ये एक-दूसरे के स्थान पर प्रयोग किये जा सकते हैं।

समानार्थी शब्दों के प्रयोग ― किसी शब्द का अर्थ समझ न आ रहा हो तब उस शब्द का अर्थ बताने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा किसी बात की व्याख्या करने हेतु समानार्थी शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

समानार्थी एवं पर्यायवाची शब्दों में अंतर

चूँकि समानार्थी एवं पर्या‌यवाची के लिए अंग्रेजी में केवल एक ही शब्द है― synonyms. अत: हम कह सकते हैं ये दोनों एक ही हैं। फिर भी हिन्दी में शब्दों के प्रकारों में समानार्थी व पर्यायवाची अलग-अलग बोले व पढ़े जाते हैं। इन दोनों में अंतर इन बातों से किया जा सकता है।

समानार्थी पर्यायवाची
जब किसी बात (विचार), वस्तु या भाव का केवल अर्थ बताना हो और उसके अर्थ को बताने के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है वह समानार्थी शब्द कहलाता है। शब्दों का ऐसा समूह जो किसी एक ही बात, वस्तु या भाव के अर्थ को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते हैं वे सभी पर्यायवाची कहलाते हैं।
उदाहरण ― यदि पूछा जाए 'अश्व' शब्द का क्या अर्थ है? तो इसका अर्थ बताया जायेगा 'घोड़ा'। अतः यहाँ 'अश्व' का समानार्थी 'घोड़ा' होगा। उदाहरण― यदि यह पूछा जाये कि अश्व को और किन-किन शब्दों से संबोधित किया जाता है? तब उत्तर में होगा घोटक, बाजी, हय, तुरंग, दधिका, सैंधव, घोड़ा, रविपुत्र, सर्ता आदि। अतः ये सभी शब्द 'अश्व' के पर्यायवाची होंगे।
समानार्थी केवल दूसरे शब्द में अर्थ बताता है। पर्यायवाची अधिक शब्दों में विष्लेषण करता है।
समानार्थी केवल एक अर्थ बताता है। पर्यायवाची अनेक शब्दों में अर्थ स्पष्ट करते हैं।

टीप― वस्तुतः समानार्थी और पर्यायवाची शब्दों में कोई विशेष अंतर नहीं है। यदि किसी शब्द का केवल एक शब्द में अर्थ बता दें तो वह समानार्थी हो जाएगा जबकि और अधिक का अर्थ स्पष्ट करने के लिए अन्य शब्दों का भी प्रयोग किया जाए तब वह सभी शब्द पर्यायवाची हो जाते हैं।

समानार्थी शब्दों की सूची

परिश्रम = मेहनत
वक्र = टेढ़ा
खाली = रिक्त
सामने = सम्मुख
गुप्त = छिपा हुआ
तम = अंधकार
तीव्र = तेज
निंदा = बुराई
आस्था = विश्वास
ग्रीवा = गर्दन
चारु = सुंदर, प्रिय
पतित = गिरा हुआ
उदात्त = ऊँचा
फायदा = लाभ
ज्येष्ठ = बड़ा
हुज्जत = बहस
उर्ध्व =खड़ा
दिवा = दिवस
आभ्यंतर = भीतर
आहत = घायल
एकत्र = इकट्ठा
कटु = कड़वा
कनिष्ठ = छोटा
गवाक्ष = झरोखा
भौतिक = सांसारिक
निरापद = सुरक्षित
कातर = व्याकुल
अहर्निश = रात्रि
आद्य = आज
कृपण = कंजूस
बर्बर = जंगली
रक्षक = रक्षा करने वाला
अग्रज = जो पहले जन्मा हो।
प्रणय = प्रेंम
उत्तम = श्रेष्ठ
धोखा = फरेब
अविचल = स्थिर
विभूति = ऐश्वर्य
तल्लीन = तन्मय
विराट = विशाल
यथार्थ = वास्तविक
जबरदस्ती = बलात्
एवज = बदले में
वसुंधरा = पृथ्वी
तन्मयता = एकाग्रता
नैसर्गिक = प्राकृतिक
निर्बाध = बिना रुकावट के
पवित्र = सात्त्विक
उपस्थिति = हाजिरी
उर्मि = लहर, तरंग
म्लान = मैला
संकरा = संकीर्ण
अशोक = शोक रहित
आनन-फानन = अतिशीघ्र इच्छित = चाहा हुआ
उत्पीड़न = दबाना, सताना
उद्दाम = बंधन रहित
उपवेष्टन = लपेटने की क्रिया
अंशु = किरण
अनधिकारी = अधिकार न रखने वाला
अकल्पनीय = कल्पनारहित
अत्यंत = हद से ज्यादा
अकिंचन = निर्धन
आक्रोश = क्रोध
दिनेश = सूर्य
अंत्येष्टि = मृतक कर्म
तन्मय = एकाग्र
अचरज = आश्चर्य
आघात = चोट
आशय = मतलब
उघड़ना = खुलना
पाखंड = ढोंग, आडम्बर
प्रज्ञा = बुद्धि
प्रतिबंध = मनाही
अनवरत = निरंतर, लगातार
इजाजत = अनुमति
अनास्था = आस्था का अभाव
विरंचि = ब्रह्मा
कटक = सेना
कलुष = मैल
कषाय = कसैला
सुकुमार = कोमल
मतदाता = मत देने वाला
आत्म निर्भर = स्वनिर्भर
मीन = मछली
श्रेष्ठ = महान
कलेवर = देह, चोला
क्लेश = दुःख, पीड़ा
हमला = आक्रमण
हड़बड़ाहट = उतावली
स्नेहिल = स्नेह से भरा हुआ
मनीषा = बुद्धि
ऐयारी = चालाकी
कच = सिर के बाल
अक्सर = बहुधा
अनुज = जो बाद में जन्मा हो
अध = पाप
यकायक = एकाएक
यौगिक = मिला हुआ

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3. लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर भाषा में इनकी उपयोगिता
4. प्रेरणार्थक / प्रेरणात्मक क्रिया क्या है ? इनका वाक्य में प्रयोग
5. पुनरुक्त शब्द एवं इसके प्रकार | पुनरुक्त और द्विरुक्ति शब्दों में अन्तर

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1. गज़ल- एक साहित्य विधा
2. शब्द शक्ति- अभिधा शब्द शक्ति, लक्षणा शब्द शक्ति एवं व्यंजना शब्द शक्ति
3. रस क्या है? शांत रस एवं वात्सल्य रस के उदाहरण
4. रस के चार अवयव (अंग) – स्थायीभाव, संचारी भाव, विभाव और अनुभाव
5. छंद में मात्राओं की गणना कैसे करते हैं?

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. घनाक्षरी छंद और इसके उदाहरण
2. काव्य का 'प्रसाद गुण' क्या होता है?
3. अपहनुति अलंकार किसे कहते हैं? एवं विरोधाभास अलंकार
4. भ्रान्तिमान अलंकार, सन्देह अलंकार, पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
5. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द– अपेक्षा, उपेक्षा, अवलम्ब, अविलम्ब शब्दों का अर्थ

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या होते हैं?
2. कुण्डलियाँ छंद क्या है? इसकी पहचान एवं उदाहरण
3. हिन्दी में मिश्र वाक्य के प्रकार (रचना के आधार पर)
4. मुहावरे और लोकोक्ति का प्रयोग कब और क्यों किया जाता है?
5. राष्ट्रभाषा क्या है और कोई भाषा राष्ट्रभाषा कैसे बनती है?

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1.अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार
2. पुनरुक्त शब्दों को चार श्रेणियाँ
3. भाषा के विविध स्तर- बोली, विभाषा, मातृभाषा
4. अपठित गद्यांश कैसे हल करें?
5. वाच्य के भेद - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?
2. राज भाषा क्या होती है, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है?
3. छंद किसे कहते हैं? मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया
4. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण
5. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. रस के अंग – स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव
2. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण
3. काव्य के भेद- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक, नाटक, एकांकी
4. अकर्मक और सकर्मक क्रियाएँ, अकर्मक से सकर्मक क्रिया बनाना
5. योजक चिह्न (-) का प्रयोग क्यों और कहाँ होता है?
6. 'पर्याय' और 'वाची' शब्दों का अर्थ एवं पर्यायवाची और समानार्थी शब्दों में अंतर
7. 'हैं' व 'हें' तथा 'है' व 'हे' के प्रयोग तथा अन्तर || 'हैं' और 'है' में अंतर || 'हैं' एकवचन कर्ता के साथ भी प्रयुक्त होता है
8. अनुनासिक और निरनुनासिक में अंतर
9. हिन्दी की क्रियाओं के अन्त में 'ना' क्यों जुड़ा होता है? मूल धातु एवं यौगिक धातु
10. अनुस्वार युक्त वर्णों का उच्चारण कैसे करें?

I Hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfhindi.com

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