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भाषा का आदि इतिहास || भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप

  • BY:
     RF Temre
  • Posted on:
    January 01, 1970

ब्रह्माण्ड में हमारे सौरमण्डल की उत्पत्ति एवं पृथ्वी के अस्तित्व में आने के पश्चात धीरे-धीरे जीवों का आविर्भाव हुआ। धरती पर जीवों की वंश-वृद्धि तभी संभव थी जब वे सामूहिक जीवन या कम से कम जोड़े में जीवन व्यतीत करते। एक जीव का दूसरे जीव के साथ या सामूहिक रूप से जीवन निर्वाह तभी सम्भव हो सकता है जब वे एक दूसरे के भावों को समझ सकें। इस तरह पृथ्वी पर जीवों के द्वारा एक-दूसरे के भावों या भावनाओं को समझने के लिए इशारों (संकेतों) या आवाजों (ध्वनियों)ः का प्रयोग किया गया।

हमारी धरती पर सभी जीवों में इंसान सबसे अधिक समझदार और बुद्धिमान जीव के रूप में विकसित हुआ। समय के साथ क्रमशः उसके भाव संप्रेषण के माध्यमों में सबसे अधिक सुधार हुआ। मानव ने अपनी बातों को अपने मुख से ध्वनि संकेतों के माध्यम से दूसरे तक प्रेषित करने में प्रयास किया। इस तरह मौखिक भाषा की शुरुआत हुई। कुछ निश्चित वस्तुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों आदि के बारे में बताने के लिए इनके चित्रों का प्रयोग किया गया, जिसके उदाहरण कई जगह देखने को मिलते हैं। आज भी मध्यप्रदेश में भीमबेटका के शैल-चित्र आदिमानवों की आदि भाषा के उदाहरण हैं। इस तरह भाव-सम्प्रेषण का लिखित रूप भी अस्तित्व में आया। आगे चलकर मानव के मुख से निकलने वाले ध्वनि संकेतों के लिए कई तरह के चिह्नों का प्रयोग किया गया। पेड़ों के पत्तों, छालों, शिलाओं इत्यादि पर ध्वनियों के लिखित रुप बनाए जाने लगे। धरती के अलग-अलग क्षेत्रों में ध्वनि संकेतों के लिए अलग-अलग तरह के चिन्हों का प्रयोग हुआ जिससे भिन्न-भिन्न लिपियों का उद्भव और विकास हुआ। आगे चलकर धरती के भिन्न-भिन्न इलाकों में लिपियों पर आधारित भाषाएँ फली-फूली और उनसे संबंधित साहित्य का विकास हुआ।

हिन्दी भाषा एवं इसकी लिपि

विश्व की अन्य भाषाओं की तरह हिन्दी भाषा का भी उद्भव विकास हुआ। इस भाषा की लिपि देवनागरी है। हिन्दी भाषा की प्रारंभिक जानकारी जानने से पहले इसकी लिपि देवनागरी का संक्षिप्त परिचय नीचे देखें।

देवनागरी लिपि- देवनागरी एक लिपि है, जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा विदेशी भाषाएँ लिखी जाती हैं। देवनागरी बाँये से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा (आड़ी लकीर) है जिसे 'शिरोरेखा' कहते हैं जो प्रत्येक वर्ण एवं शब्द के ऊपर लगाई जाती है। इस लिपि में सँस्कृत, पाली, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिंन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली इसके अलावा बहुत सी उपभाषाएँ जैसे- तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, विष्णुपुरिया, मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं।

हिन्दी भाषा- जैसा कि ऊपर वर्णन किया गया है हिन्दी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। संस्कृत भाषा इसकी जननी है अर्थात संस्कृत भाषा से ही हिन्दी भाषा की उत्पत्ति हुई है। वैसे तो मानव मुख से निकलने वाली कई तरह की ध्वनियाँ हैं जिनके लिए आज तक संकेतों का निर्माण नहीं हुआ है। किंतु मानव मुख से निकलने वाली मूल ध्वनियों के लिए जो भाषा के लिखित रूप के लिए पर्याप्त हैं हेतु संकेतों का निर्माण हुआ, जिन्हें वर्ण या अक्षर कहा जाता है। इन्हीं वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।
हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण सम्मिलित हैं जो मुख्य रूप से स्वर और व्यंजन में वर्गीकृत हैं।

उपरोक्त जानकारी से संबंधित pdf नीचे स्क्रॉल कर देख सकते हैं। यदि आप डाउनलोड करना चाहें हैं तो Download pdf के हरे बटन पर क्लिक कर डाउनलोड कर सकते हैं।👇

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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
rfhindi.com

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